सपने हरसिंगार
नींद -बगिया खिलें
रुपहले सुनहले
चुपचाप आ मिलें
सजे नवल सिंगार
सपने हरसिंगार
रात शिउली सजे
सपने नैन बसें
भोर आहट झरें
जुड़ें न फिर डार
सपने हरसिंगार
रंग भरी दुनियाँ
पल दो पल खुशियाँ
देते बार बार
सुवासित मन- द्वार
सपने हरसिंगार
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