Wednesday 28 March 2012

sapne harsingaar

  सपने हरसिंगार
 
नींद -बगिया खिलें
रुपहले सुनहले
चुपचाप आ मिलें
सजे  नवल  सिंगार
सपने हरसिंगार

रात शिउली सजे
सपने  नैन बसें
भोर आहट झरें
जुड़ें न फिर डार
सपने हरसिंगार

रंग भरी दुनियाँ
पल दो पल खुशियाँ
देते बार बार 
सुवासित मन- द्वार
सपने हरसिंगार

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