Monday 11 June 2012

गर्मी के दिन

गर्मी के दिन -1

ओह! गर्मी  के दिन जब आए
सूरज अनोखा रूप  दिखाए .

सूरज तेज़ प्रतापी पिता सा
बच्चों पर गुस्सा ,गरमाता
 सहम कर डरे से  सब भागते 
ढूंढते छाया माँ का आँचल
लुकते  छिपते झाँकते साए
ओह! गर्मी .....

लू की छड़ी गरम हवा थपेड़े
चिलचिलाती   सबको खदेड़े
क्रोध अगन में सूखे सुखाए
करे पसीना दिल नहीं   पसीजे 
उपाय   हो क्या समझ न आए
ओह! गर्मी ........

धरा बिटिया  सिहरती  अंजलि ले
घट वाष्प से  पिता शांत हो लें
प्रेमाभिभूत  उच्छ्वास लिए 
रचे  मेघ स्नेह बौछार दिए
सभी  ताप भूल जग हरषाए

ओह !गर्मी ...


गर्मी के दिन -2

गर्मी तुम आई

तन मन दहके
श्वेद नद बहते
गर्म धौंकनी सी
लू की ये आहें 
अगन लपट लाई
गर्मी ....
तरु तपस्वी  खड़े
स्थिर अविचल  मौन
अवनत मुखी  पत्ते
कातर  हुई   पौन
कैसी रुत आई ?
गर्मी ....
चोंच खोल चिरई
तड़प  रज नहाती
बच्चे  नज़रबंद
गलियाँ अलसाती
 चैन साँझ लाई .
गर्मी ..

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